अशोक शर्मा
उत्तराखंड के गुमखाल से सतपुली एनएच 119 (अब एनएच-534) पर हुई दुखद घटना ने एक बार फिर से यह सवाल उठाया है कि क्या विकास की गति में सुरक्षा और मानकों को नजरअंदाज किया जा रहा है? 7 जून 2025 को सड़क निर्माण कार्य में लगे पोकलैंड चालक और यात्रियों के बीच हुए विवाद ने एक युवक की जान ले ली, जिसने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया। इस घटना के बाद, राज्य सरकार के लोकनिर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने त्वरित कार्रवाई करते हुए संबंधित निर्माण कंपनी, मेसर्स कल्याण-शिवालिक इंफ्रा (जेवी) के अनुबंध को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। यह कदम इस बात का स्पष्ट संकेत है कि राज्य सरकार ऐसी घटनाओं को किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेगी।
यह घटना हमारे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। सड़क निर्माण के दौरान मलबा हटाना, पहाड़ी क्षेत्रों में कटाई के बाद रुकावटों को हटाना, और यातायात के सुचारु संचालन के लिए आवश्यक सावधानियाँ बरतना, किसी भी निर्माण कार्य की सबसे अहम प्राथमिकताएं होनी चाहिए। लेकिन इस घटना ने दिखा दिया कि इन सभी बुनियादी जिम्मेदारियों की अवहेलना की गई, जिसके कारण एक अमूल्य जीवन की हानि हुई।
लोकनिर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने इस मुद्दे पर त्वरित और सख्त कदम उठाया, जो कि प्रशंसनीय है। उनके निर्देश पर कंपनी के अनुबंध को निलंबित कर दिया गया और पोकलैंड चालक के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह कदम न केवल सरकार की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। यह घटना यह भी साबित करती है कि अगर किसी भी निर्माण कार्य में लापरवाही होती है, तो उसका परिणाम जनता को भुगतना पड़ता है। जब सड़कें और पुल बनाने वाली कंपनियां अपने कर्मचारियों और कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों का पालन करने में असफल होती हैं, तो यह हर व्यक्ति की सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
इस घटना ने हमारे राज्य के विकास कार्यों और सड़कों पर चल रहे निर्माण कार्यों के प्रबंधन की गंभीर समीक्षा की आवश्यकता को रेखांकित किया है। यदि हम राज्य में सच्चे अर्थों में विकास चाहते हैं, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह विकास केवल सुंदर और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर तक सीमित न रहे, बल्कि इसमें सुरक्षा भी सर्वोपरि हो। निर्माण कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही से न केवल सड़कें और पुल खतरनाक हो सकते हैं, बल्कि यह हमारे नागरिकों की जिंदगी के लिए भी खतरा पैदा कर सकते हैं।
मंत्री सतपाल महाराज का यह कदम एक स्पष्ट संदेश है कि उत्तराखंड में ऐसे अनियंत्रित और लापरवाह निर्माण कार्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। किसी भी कार्य में मानक और नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त दंड मिलना सुनिश्चित किया जाएगा। यह कदम इस बात की भी पुष्टि करता है कि राज्य सरकार नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देती है, और इसे किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
इस घटना ने हमें यह भी सिखाया है कि किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य, चाहे वह सड़क हो, पुल हो, या कोई और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, उसमें सुरक्षा मानकों का पालन अत्यंत जरूरी है। निर्माण कार्यों के दौरान आने वाली किसी भी प्रकार की लापरवाही, जैसे मलबा हटाना, सड़कें बंद करना या यातायात को असुरक्षित बनाना, सीधे तौर पर नागरिकों की जान को खतरे में डाल सकता है। ऐसे मामलों में जहां लोग रोजाना अपनी जान जोखिम में डालते हुए सड़कों का इस्तेमाल करते हैं, वहाँ अधिक सुरक्षा और कड़े मानकों की आवश्यकता है।
यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि विकास के नाम पर किसी की जान को खतरे में डालना, या उसकी सुरक्षा से समझौता करना, कतई स्वीकार्य नहीं है। हम सभी को यह समझना होगा कि उत्तराखंड की सड़कों पर चलने वाली हर एक गाड़ी, हर एक यात्री, और हर एक व्यक्ति की सुरक्षा सबसे पहले होनी चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि निर्माण कार्यों में उच्चतम सुरक्षा मानकों का पालन किया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
लोकनिर्माण मंत्री के इस सख्त कदम से यह तो स्पष्ट है कि राज्य सरकार भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही को रोकने के लिए और अधिक कठोर कदम उठाएगी, ताकि उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा और सार्वजनिक निर्माण कार्यों में उच्चतम मानक सुनिश्चित हो सकें। अब यह जिम्मेदारी सरकार और संबंधित अधिकारियों की है कि वे इस दिशा में आवश्यक बदलावों को लागू करें और हमारे नागरिकों के जीवन को सुरक्षित रखने की दिशा में सही कदम उठाए।
( लेख में व्यक्त लेखक के निजी विचार हैं )