“मौन नहीं, हस्तक्षेप चाहिए: 15 वर्षीय बालिका की पीड़ा ने झकझोरा बाल आयोग को”

दून अस्पताल में भर्ती किशोरी के मामले पर डॉ. गीता खन्ना का कड़ा संदेश — ‘समाज की चुप्पी भी एक अपराध है’

देहरादून,दिनांक: 10 जून 2025 : उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना को आज सुबह एक अत्यंत दर्दनाक और झकझोर देने वाली सूचना प्राप्त हुई। सूचना के अनुसार, एक 15 वर्षीय बालिका को incomplete abortion और अत्यधिक रक्तस्राव की गंभीर अवस्था में 108 एम्बुलेंस सेवा के माध्यम से दून अस्पताल के प्रसूति विभाग में भर्ती कराया गया है। आयोग ने इस पूरे मामले को “बाल संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील एवं गहन सामाजिक चेतावनी देने वाला” बताया है।

प्राथमिक जांच के अनुसार, बालिका को कथित रूप से मोहल्ले के एक युवक और उसकी मां द्वारा जबरन गर्भनिरोधक दवा दी गई, जिससे उसकी स्थिति गंभीर हो गई। हैरान करने वाली बात यह है कि आरोपी युवक की मां स्वयं एक अस्पताल में कार्यरत हैं, और घटना के समय दोनों आरोपित पीड़िता के पास मौजूद थे।

इस बालिका की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी अत्यंत करुणाजनक है। कोविड काल में मां के निधन के बाद पिता ने परिवार को त्याग दिया था। बड़ी बहन, जो स्वयं एनीमिया जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित है, अस्पताल में पीड़िता के साथ थी। दोनों बहनों के पास कोई संरक्षक नहीं है, और न ही परिवार या रिश्तेदारों से कोई सहयोग मिल रहा है।

शिक्षा की दृष्टि से भी यह बच्ची एक लंबे समय से उपेक्षित रही है—पाँचवीं कक्षा के बाद उसने स्कूल जाना छोड़ दिया था। यह न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि समाज में किशोरियों के शिक्षा, स्वास्थ्य और संरक्षण के अभाव की एक बेहद चिंताजनक तस्वीर भी प्रस्तुत करता है।

डॉ. गीता खन्ना ने इस पीड़ादायक घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

“यह सिर्फ एक बालिका की कहानी नहीं है, यह समाज की असंवेदनशीलता, टूटते पारिवारिक ढांचे और सामूहिक चेतना की विफलता का आईना है। हमें मौन नहीं, हस्तक्षेप करना होगा।”

आयोग को पुलिस द्वारा सूचित किया गया है कि आरोपी युवक को हिरासत में ले लिया गया है। हालांकि, आयोग ने गिरफ्तारी की प्रक्रिया में लैंगिक संवेदनशीलता की कमी पर भी चिंता व्यक्त की है।

डॉ. खन्ना ने यह भी निर्देशित किया है कि पीड़िता की बड़ी बहन की भी समुचित चिकित्सकीय जांच की जाए, ताकि उसकी स्थिति का निष्पक्ष आकलन किया जा सके और यदि आवश्यक हो, तो उसकी इच्छा अनुसार पुनर्वास की व्यवस्था की जा सके। इसके साथ ही आयोग ने बाल कल्याण समिति (CWC) को निर्देश दिए हैं कि वे तत्काल प्रभाव से पीड़िता की देखभाल, संरक्षण, मानसिक परामर्श और पुनर्वास की सम्पूर्ण जिम्मेदारी अपने हाथ में लें।

अंत में, डॉ. गीता खन्ना ने समाज के सभी वर्गों से भावुक अपील करते हुए कहा —

“ऐसे मामलों में समाज की चुप्पी सबसे बड़ा अपराध है। समय रहते हस्तक्षेप करना, पीड़ितों को न्याय दिलाना और उनके साथ खड़े होना केवल कानून का पालन नहीं, बल्कि हमारा नैतिक दायित्व भी है।”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here