उत्तराखंड के ऐतिहासिक नैनीताल राजभवन के 125 साल पूरे, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विशेष डाक टिकट किया जारी

देहरादून।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु इन दिनों उत्तराखंड दौरे पर हैं। आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति निकेतन, देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम में उत्तराखंड के ऐतिहासिक राजभवन नैनीताल के 125 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विशेष डाक टिकट जारी किया। इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) भी उपस्थित रहे। उन्होंने राष्ट्रपति का इस ऐतिहासिक धरोहर को राष्ट्रीय स्मृति में स्थान दिलाने के लिए आभार प्रकट किया।

गौरतलब है कि राजभवन नैनीताल का यह भवन ब्रिटिश काल की अद्भुत गोथिक स्थापत्य शैली का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है। राजभवन की भव्य वास्तुकला, भू-संरचना तथा इसके आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य इस धरोहर स्थल को विशिष्ट बनाते हैं।

बता दें नैनीताल राजभवन को बकिंघम पैलेस की तर्ज पर तैयार किया गया था। नैनीताल राजभवन में 100 से अधिक कमरे हैं। नैनीताल राजभवन का गोल्फ कोर्स अपने आप में विशेष है। नैनीताल राजभवन परिसर में सुंदर बागीचा है। यहां स्विमिंग पूल भी है यहां की नक्काशीदार दीवारें इसे और भी खास बनाती हैं।नैनीताल राजभवन ब्रिटिश कालीन वास्तुकला का बेजोड़ उदाहराण है। नैनीताल राजभवन देवदार और ओक के पेड़ों से घिरा है।

डाक टिकट जारी होने के अवसर पर राज्यपाल ने राष्ट्रपति को ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’’ काफी टेबल बुक भी भेंट की। यह कॉफी टेबल बुक राजभवन में मनाए जाने वाले प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य स्थापना दिवस पर आधारित है।

भारत का ‘बकिंघम पैलेस’ है नैनीताल का राजभवन

मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल का डिजाइन बनाने वाले चर्चित डिजाइनर फेडरिक विलियम स्टीवन ने ही इस राजभवन का डिजाइन भी तैयार किया था. नैसर्गिक सौंदर्य के बीच 220 एकड़ भूमि में फैले राजभवन परिसर में 50 एकड़ भूमि में गोल्फ मैदान, आठ एकड़ में भवन और 160 से ज्यादा एकड़ में जंगल और स्वीमिंग पूल है. राजभवन परिसर में सैलानियों को गाइड करने की जिम्मेदारी कुमाऊं मंडल विकास निगम को सौंपी गई है, जिसके लिए निगम ने यहां पर गाइड की तैनाती भी की है, जो यहां पहुंचने वाले सैलानियों को इस खूबसूरत राजभवन की सैर कराते हैं.

125 साल पुराने इस राजभवन की नींव 27 अप्रैल 1897 को रखी गई थी. जबकि 1900 में यह भवन बनकर तैयार हुआ था. उत्तराखंड बनने से पहले इसे केवल विशिष्ट अतिथियों के लिए इसे खोला जाता था, लेकिन उत्तराखंड राज्य के पहले राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला ने 20 नवंबर 2001 को इस राजभवन को आम नागरिकों और सैलानियों के लिए भी खोल दिया था. तब से लेकर अब तक लाखों-करोड़ों सैलानी इस ऐतिहासिक इमारत का दीदार कर चुके हैं.

यहां एक संग्रहालय भी मौजूद है, जहां दुर्लभ और बेहद आकर्षक एंटीक फर्नीचर के साथ ही सुल्ताना डाकू के हथियार भी रखे गए हैं, जिसमें तलवार, भाले शामिल हैं. वहीं, यहां पुराने समय में इस्तेमाल होने वाले बर्तन भी मौजूद हैं, जो कि लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं. इसके साथ ही यहां पर 100 वर्ष पुरानी भगवान गणेश की मूर्तियां भी लोगों को आकर्षित करती हैं, जिन्हें नेपाल नरेश ने अंग्रेज शासकों को भेंट में सौंपा था. उन्होंने बताया कि इसके अलावा यहां के मुख्य आकर्षणों में गोल्फ ग्राउंड भी है. 18 होल्स वाला यह गोल्फ ग्राउंड 50 एकड़ में फैला हुआ है, जहां कई गोल्फ टूर्नामेंट भी करवाए जाते हैं.

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