उत्तराखंड की ऐतिहासिक पहल: योग नीति 2025 के साथ वैश्विक योग और वेलनेस की राजधानी बनने की ओर कदम

देहरादून, 21 जून 2025: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के पावन अवसर पर उत्तराखंड ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए देश की पहली योग नीति 2025 को औपचारिक रूप से लागू कर दिया। गैरसैंण की शीतकालीन राजधानी के भराड़ीसैंण विधानसभा परिसर में आयोजित एक भव्य समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस नीति की अधिसूचना जारी की। इस कदम के साथ ही उत्तराखंड ने न केवल भारत, बल्कि विश्व स्तर पर योग और वेलनेस की राजधानी बनने की दिशा में एक ठोस पहल की है। यह नीति देवभूमि उत्तराखंड को आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम है।

उत्तराखंड सरकार ने इस नीति को तैयार करने के लिए दो वर्षों तक अथक प्रयास किए। आयुष विभाग ने 2023 में इसकी नींव रखी, जब राज्य में आयुष नीति लागू होने के बाद योग को समर्पित एक स्वतंत्र नीति की आवश्यकता महसूस की गई। प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार करने के बाद इसे शासन के समक्ष प्रस्तुत किया गया, लेकिन कुछ कमियों के कारण इसे संशोधन के लिए वापस भेजा गया। इसके बाद आयुष विभाग ने आयुर्वेद विशेषज्ञों, योग गुरुओं, और विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर सुझावों को शामिल किया। लगभग दो साल की मेहनत और विचार-विमर्श के बाद मई 2025 में इस नीति को विधायी विभाग से मंजूरी मिली। 28 मई को धामी मंत्रिमंडल ने इसे अंतिम स्वीकृति प्रदान की, और आज, 21 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर इसे लागू कर दिया गया।

इस नीति का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड को योग और वेलनेस के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है। सरकार ने इसके लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। साल 2030 तक राज्य में पांच नए योग हब स्थापित करने की योजना है, जो जागेश्वर, मुक्तेश्वर, व्यास घाटी, टिहरी झील, और कोलीढेक झील जैसे खूबसूरत और आध्यात्मिक स्थानों पर विकसित होंगे। इन हब्स के माध्यम से न केवल योग का प्रचार-प्रसार होगा, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, मार्च 2026 तक राज्य के सभी आयुष हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स में योग सेवाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। यह सुनिश्चित करेगा कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोग योग के लाभ उठा सकें।

योग नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू रोजगार सृजन है। सरकार का अनुमान है कि इस नीति के लागू होने से 13,000 से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इनमें 2,500 योग शिक्षक शामिल होंगे, जो योग सर्टिफिकेशन बोर्ड से प्रमाणित होंगे, और 10,000 से अधिक योग अनुदेशक, जो होमस्टे, होटल, रिसॉर्ट, स्कूल, कॉलेज, और कॉरपोरेट सेक्टर में योग सत्र संचालित करेंगे। यह नीति न केवल युवाओं को रोजगार प्रदान करेगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगी।

नीति के तहत कई अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान भी किए गए हैं। योग निदेशालय की स्थापना होगी, जो नीति के संचालन, निगरानी, और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए जिम्मेदार होगा। इस निदेशालय में निदेशक, संयुक्त निदेशक, उपनिदेशक, योग विशेषज्ञ, और अन्य आवश्यक कर्मचारी शामिल होंगे। निदेशालय का कार्य योग संस्थानों का पंजीकरण, उनकी रेटिंग प्रणाली विकसित करना, और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ सहयोग स्थापित करना होगा। इसके अलावा, योग प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना, योग प्रशिक्षकों का पंजीकरण, और योग से संबंधित बुनियादी ढांचे का विकास भी इस नीति का हिस्सा है।

शिक्षा में योग के एकीकरण पर विशेष जोर दिया गया है। स्कूलों और कॉलेजों में योग पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे, और आम जनता, स्कूली बच्चों, और कॉलेज छात्रों के लिए लाइव योग सत्रों का प्रसारण किया जाएगा। इसके लिए एक विशेष ऑनलाइन योग प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया जाएगा, जो लोगों को घर बैठे योग सीखने की सुविधा प्रदान करेगा। योग और आध्यात्मिकता में अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे। विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, और गैर-सरकारी संगठनों को योग और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शोध के लिए ₹10 लाख तक का अनुदान दिया जाएगा, जिसके लिए कुल ₹1 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है।

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी इस नीति में कई प्रावधान हैं। योग पर्यटन को प्रचारित करने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे, और अंतरराष्ट्रीय योग सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा। मार्च 2028 तक 15 से 20 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ साझेदारी विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही, नए योग केंद्र खोलने के लिए सरकार 25 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान करेगी। पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतम ₹20 लाख और मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम ₹10 लाख की सब्सिडी दी जाएगी। एक वर्ष में इस मद में ₹5 करोड़ तक की सब्सिडी का प्रावधान है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर कहा, “उत्तराखंड योग नीति 2025 हमारे राज्य को न केवल योग और वेलनेस की वैश्विक राजधानी बनाएगी, बल्कि यह हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित करेगी। यह नीति स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, और रोजगार के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगले पांच वर्षों में इस नीति के कार्यान्वयन के लिए ₹35 करोड़ का बजट खर्च किया जाएगा, जिससे उत्तराखंड का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित होगा।

यह नीति उत्तराखंड को एक सशक्त और विकसित राज्य बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी। यह न केवल स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाएगी, बल्कि विश्व भर से योग प्रेमियों और पर्यटकों को आकर्षित करेगी। उत्तराखंड, जो पहले से ही देवभूमि के रूप में जाना जाता है, अब योग और वेलनेस के वैश्विक केंद्र के रूप में अपनी नई पहचान स्थापित करने की ओर अग्रसर है।

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