ठाणे,07 जून (आरएनएस)। विद्वान लेखक दाजी पणशीकर का बीती रात ठाणे में निधन हो गया. वह 92 वर्ष के थे. उनके परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटियां, दामाद, बेटा और बहू हैं. रामायण, महाभारत और संतों के ग्रंथों के विद्वान दाजी ने 50 से अधिक वर्षों तक अपने व्याख्यानों और साहित्य के माध्यम से समाज को जागृत किया.
उन्होंने अपने दादा वासुदेव शास्त्री पणशीकर के हिंदू शास्त्रों और परंपराओं की विरासत को आगे बढ़ाया. दाजी पणशीकर ने देश-विदेश में लगभग 2500 व्याख्यान दिए. विभिन्न समाचार पत्रों में दाजी पणशीकर के लेख महाराष्ट्र के लिए एक महत्वपूर्ण वैचारिक खजाना हैं.
उनकी विभिन्न पुस्तकों जैसे महाभारत, ए जर्नी ऑफ रिवेंज, कर्ण खरा कोन थोटा?, कथामृतम, कनिकनीति, शंकराचार्य के भजनों पर आधारित स्तोत्र गंगा (दो भाग), अपरिचित रामायण (पांच भाग), गान सरस्वती किशोरी अमोनकर – आदि शक्तिचा धन्योदगार के अब तक 30 से अधिक संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं.
उनकी लेखनी और बोलने की कला की विशेषता है. विषय पर उनकी विशेषज्ञता, गहन चिंतन, स्पष्ट रुख और सटीक व्याख्या चर्चित हैं. अपने बड़े भाई प्रभाकर पणशीकर की नाट्यसम्पदा नाट्य संस्था के प्रबंधक के रूप में दाजी मराठी साहित्य, संगीत, रंगमंच, फिल्म के क्षेत्र के दिग्गज कलाकारों के निकट संपर्क में आए.
ऐसा महसूस होता है कि पिछले 50 वर्षों से महाराष्ट्र के सांस्कृतिक इतिहास के लिए जानी जाने वाली एक शख्सियत खो गई है. दाजी पणशीकर का अंतिम संस्कार ठाणे पश्चिम स्थित जवाहर बाग श्मशान घाट पर किया जाएगा.