अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद, अब वहां राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। इसकी शुरुआत 2 जून को पवित्र कलश यात्रा के साथ हुई, जो शुभ संकल्प और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। इस यात्रा के माध्यम से मंदिर में पवित्र जल, पत्तियाँ और अन्य आध्यात्मिक प्रतीक स्थापित किए गए, जिससे पूरे परिसर में धार्मिक ऊर्जा संचारित हो गई।
इसके बाद, 3 और 4 जून को मंदिर में विशेष वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए निरंतर पूजा-अर्चना चलती रही। इन अनुष्ठानों में शास्त्रोक्त विधियों के अनुसार कई धार्मिक क्रियाएं की गईं, जिनमें हवन, पूजा-पाठ, और भगवान राम की विशेष आराधना शामिल रही। इस पूरे आयोजन में 101 वेदपाठी एवं ऋत्विजोंकी टीम ने मंदिर परिसर को आध्यात्मिक मंत्रों की गूंज से भर दिया, जिससे वातावरण अत्यंत पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से ओत-प्रोत हो गया।
अभिजीत मुहूर्त—शुभता का दैवीय क्षण
इस प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ का मुख्य आयोजन 5 जून को संपन्न होगा, जो कि गंगा दशहराका पावन पर्व भी है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त जो शुभ कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, में भगवान राम की मूर्तियों का प्रतिष्ठ अभिजीत मुहूर्त हर दिन एक विशेष समय अवधि होती है, जो आमतौर पर 11:45 बजे से 12:45 बजे तक होती है। यह मुहूर्त किसी भी शुभ कार्य के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है क्योंकि यह दिन का मध्य भाग होता है, जब सूर्य देवता की ऊर्जा सबसे प्रबल होती है। इस दौरान किए गए यज्ञ, पूजा एवं प्रतिष्ठापन विशेष फलदायी होते हैं।

इस बार 5 जून को अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:25 से 11:40 बजे तक रहेगा, और इसी अवधि में राम दरबार की मूर्तियों की प्रतिष्ठा विधिवत रूप से की जाएगी। यह एक अत्यंत शुभ क्षण होगा, जब भगवान राम, माता सीता, भाई लक्ष्मण और भक्त हनुमान की दिव्य प्रतिमाओं को उनके निर्धारित स्थानों पर स्थापित किया जाएगा।
राम मंदिर परिसर—आध्यात्मिकता का केंद्र
अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर न केवल भगवान श्रीराम की दिव्य मूर्तियों का स्थल है, बल्कि यह एक संपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र के रूप में भी विकसित हो रहा है। इस भव्य मंदिर में राम दरबार के अलावा अन्य सात देवी-देवताओं के मंदिर भी बनाए जा रहे हैं। इन मंदिरों को गर्भगृह के निकट प्रथम तल पर चारों कोनों में विशेष रूप से स्थापित किया जा रहा है।
इन दिव्य मंदिरों में विभिन्न वेद मंत्रों और पूजा पद्धतियों का पालन करते हुए भगवान सूर्य, माता जानकी और हनुमान जी की प्रतिमाओं को भी विधिवत रूप से प्रतिष्ठापित किया जा रहा है। ये सभी मंदिर आयताकार परिक्रमापथ के चारों दिशाओं में स्थित होंगे, जिससे मंदिर की संरचना धार्मिक दृष्टि से और भी पवित्र एवं आध्यात्मिक रूप से सशक्त हो जाएगी।
अनुष्ठान का वैदिक प्रभाव और आस्था का महासंगम
राम मंदिर में चल रहे इस प्रतिष्ठा अनुष्ठान में हजारों श्रद्धालु भक्ति भाव से भाग ले रहे हैं। वेदपाठ, हवन और पूजा-पाठ के बीच शंखनाद और घंटियों की गूंज मंदिर परिसर को दिव्य वातावरण से भर देती है।
पूरे आयोजन के दौरान, मंदिर परिसर में राम भक्तों की उमंग देखने लायक है। विभिन्न धार्मिक मंडल, ऋषि-मुनि और आचार्यगण इस अनुष्ठान की पूर्णता और शुभता सुनिश्चित कर रहे हैं। मंदिर में उपस्थित श्रद्धालु, संत और भक्तगण इस महान कार्य को अपनी आस्था और प्रेम से और भी विशेष बना रहे हैं।
राम दरबार प्रतिष्ठा—आस्था का स्वर्णिम अध्याय
यह आयोजन हिंदू संस्कृति के लिए एक ऐतिहासिक एवं भावनात्मक महत्व रखता है। अयोध्या नगरी जो भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है, अब उनके दिव्य दरबार के प्रतिष्ठापन के साथ एक नया धार्मिक युग स्थापित कर रही है।
यह अनुष्ठान राम भक्तों के लिए एक नया सजीव अनुभव होगा, जो उन्हें गहरे आध्यात्मिक आनंद और आस्था से भर देगा। इस आयोजन के साथ ही श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को एक पूर्ण रूप में देखने का स्वप्न साकार हो जाएगा।