प्रधानमंत्री मोदी ने की डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत, कहा-पाकिस्तान युद्धविराम में भारत ने मध्यस्थता नहीं स्वीकारी

नईदिल्ली,18 जून (आरएनएस)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुरोध पर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे फोन पर 35 मिनट बातचीत की। इस दौरान मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर का मुद्दा उठाया और साफतौर पर कहा कि भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।
उन्होंने दोनों देशों के बीच किसी तीसरे देश की मध्यस्थता से भी इंकार किया है। उन्होंने कहा है कि भारत ने न कभी मध्यस्थता स्वीकारी है, न स्वीकार करता है और न कभी स्वीकार करेगा।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने वीडियो संदेश के माध्यम से बताया कि ट्रंप और मोदी की मुलाकात कनाडा में  जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान होनी तय थी, लेकिन ट्रंप वहां से जल्द ही लौट गए। इसलिए यह मुलाकात नहीं हो पाई।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप के आग्रह के बाद मोदी की उनसे बात हुई थी। यह 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद पहली बार ट्रंप और मोदी के बीच सीधी बातचीत थी।
विदेश सचिव ने बताया कि बातचीत के दौरान मोदी ने ट्रंप को साफ तौर पर कहा कि पाकिस्तान के आग्रह पर ही सैन्य कार्रवाई रोकने के बारे में भारत-पाकिस्तान के बीच सीधे तौर पर, दोनों सेनाओं के बीच मौजूदा सैन्य चैनलों के माध्यम से हुई थी।
मोदी ने ट्रंप से यह भी कहा कि पाकिस्तान युद्धविराम के लिए भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर भी कोई बात नहीं हुई थी।
मोदी ने ट्रंप से कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है।
बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने ईरान-इजरायल युद्ध और यूक्रेन-रूस युद्ध पर भी चिंता जताई और मुद्दों को बातचीत से हल करने की बात दोहराई।
इस दौरान ट्रंप ने मोदी को कनाडा से सीधे अमेरिका आने का आमंत्रण दिया, जिसे मोदी ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के कारण अस्वीकार कर दिया।
हालांकि, मोदी ने भारत में होने वाली क्वाड बैठक के लिए ट्रंप को आमंत्रित किया है, जिसे ट्रंप ने स्वीकार कर लिया है। ट्रंप ने कहा कि वह उत्सुक हैं।
10 मई को ट्रंप ने सोशल मीडिया पर अचानक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम का ऐलान कर दिया था।
उन्होंने कई बार दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध उन्होंने ही रुकवाया है। उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के बीच तनाव इतना बढ़ गया था कि वे परमाणु युद्ध के बहुत करीब पहुंच गए थे।
हालांकि, इसके बाद भारत ने कहा था कि युद्धविराम में किसी ने मध्यस्थता नहीं की।

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