किस्मत को बदलने की संभावना: प्रेमानंद महाराज ने की स्पष्ट व्याख्या

इन दिनों स्वामी प्रेमानंद महाराज सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। उनके प्रवचन और शिक्षाएँ लोगों में गहरी रुचि पैदा कर रही हैं। प्रेमानंद महाराज राधा रानी के अनन्य भक्त हैं और वे वृंदावन में निवास करते हैं, जहाँ वे सत्संग के जरिए लोगों को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उनके अनुयायियों की संख्या लाखों में है, और कई प्रसिद्ध व्यक्ति, जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, उनके सत्संग में भाग ले चुके हैं।

हाल ही में एक वायरल वीडियो में, एक भक्त ने महाराज जी से पूछा कि “प्रारब्ध क्या होता है और क्या किस्मत में लिखा हुआ बदला जा सकता है?” इसके उत्तर में महाराज जी ने बताया कि प्रारब्ध हमारे पाप और पुण्य के अनुसार बने विधान को कहा जाता है। पाप का फल दुख लेकर आता है, जबकि पुण्य का फल सुख लाता है।

उन्होंने आगे कहा कि भजन प्रारब्ध को समाप्त करके भगवान की प्राप्ति के मार्ग को प्रशस्त करता है और जन्म एवं मृत्यु के चक्र को समाप्त करता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रारब्ध कोई देवता नहीं है, बल्कि यह हमारे पूर्वजन्म के कर्मों का नतीजा है। भजन में एक नया जोश होता है और यह नए प्रारब्ध का निर्माण करता है।

महाराज जी ने यह भी कहा कि अगर किसी का भजन अधूरा रह जाता है, तो अगले जन्म में वह वहीं से शुरू होगा। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति का भजन 99 प्रतिशत पूरा हो गया है, तो अगले जन्म में वह उसी 99 से आगे बढ़ेगा और 100 प्रतिशत तक पहुँच पाएगा।

एक भक्त ने उनसे यह भी पूछा कि भगवान को भोग लगाने का सही तरीका क्या है। उन्होंने उत्तर दिया कि भगवान को प्याज और लहसुन वाले भोजन का भोग नहीं लगाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने कहा कि जब हम फल भोग लगाने जाएँ, तो पहले उसके छिलके और गुठलियाँ निकालनी चाहिए और फिर भगवान को भोग लगाना चाहिए।

इस प्रकार, प्रेमानंद महाराज ने ना केवल किस्मत के विषय में स्पष्टता प्रदान की, बल्कि भोग लगाने के उचित तरीके के बारे में भी महत्वपूर्ण सलाह दी, जो उनके भक्ति मार्ग की गहराई और नैतिकता के महत्व को दर्शाता है।

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