उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पर सियासी संग्राम — कांग्रेस का सवाल: “कौन है प्रदेश का पंचायती राज मंत्री?”

देहरादून, 24 जून | विशेष संवाददाता
उत्तराखंड में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर उठते सवाल अब सियासी तकरार में बदलते जा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (संगठन) सूर्यकांत धस्माना ने सोमवार को प्रदेश की धामी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए पूछा — “प्रदेश में पंचायती राज मंत्री आखिर है कौन?” उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे प्रदेश की पंचायत व्यवस्था नौकरशाही के हवाले कर दी गई है, जबकि चुनी हुई सरकार और उसके मंत्रीगण मूकदर्शक बने हुए हैं।

प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए धस्माना ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले पंचायत चुनाव समय पर न कराकर लोकतंत्र का मज़ाक बनाया, फिर प्रशासकों की नियुक्तियों के नाम पर दोहरी राजनीति की। पहले जनप्रतिनिधियों को ही प्रशासक बना दिया गया, और कार्यकाल समाप्त होने पर पंचायतों को बिना देखरेख लावारिस छोड़कर अधिकारियों को प्रशासक बना दिया गया।

धस्माना ने सवाल उठाया कि जब माननीय उच्च न्यायालय ने सरकार से नियमावली की प्रति मांगी तो सरकार ने हास्यास्पद जवाब दिया कि “नियमावली तो नोटिफाई हो गई, बस अखबारों में छपी नहीं!” इस जवाब से असंतुष्ट अदालत ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि चुनाव कार्यक्रम के अनुसार अगले ही दिन से नामांकन शुरू होने थे, और सरकार ने न तो अदालत के आदेश को सार्वजनिक किया और न ही चुनाव प्रक्रिया पर कोई स्पष्ट स्थिति सामने रखी।

उन्होंने कहा कि चुनाव आचार संहिता अभी भी प्रदेश में लागू है, पर जनता को यह तक नहीं मालूम कि नामांकन होंगे या नहीं। यह स्थिति केवल प्रशासनिक भ्रम नहीं बल्कि लोकतंत्र के प्रति गहरी उपेक्षा को दर्शाती है।

कांग्रेस नेता ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि पूरे शासन में नौकरशाही की मनमानी हावी है, जिसने मंत्रियों को पंगु बना दिया है। उन्होंने कहा, “अगर इस राज्य में कोई पंचायती राज मंत्री है, तो सामने आकर जनता को बताएं कि पंचायत चुनावों की स्थिति क्या है?” उन्होंने कहा कि सरकार न केवल न्यायालय की अवमानना कर रही है, बल्कि प्रदेश की जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों के साथ भी खिलवाड़ कर रही है।

धस्माना ने चेतावनी देते हुए कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाएगी और अगर पंचायत चुनावों की प्रक्रिया को पारदर्शी व संवैधानिक नहीं बनाया गया तो पार्टी प्रदेशभर में आंदोलन करेगी।

पंचायती राज में प्रशासनिक गड़बड़ी या सियासी मौन ?

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव महज एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि ग्राम स्तरीय सशक्तिकरण की रीढ़ है। अगर जनता को यह न पता हो कि चुनाव कब होंगे, कौन प्रत्याशी बनेगा, और प्रशासन क्या कर रहा है, तो यह केवल चुनावी विफलता नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों पर हमला है।
-सूर्यकांत धस्माना

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