लखनऊ 22 जून (आरएनएस )। राजधानी लखनऊ ने रविवार को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। शिवरी स्थित ठोस अपशिष्ट प्रोसेसिंग प्लांट में 700 मीट्रिक टन क्षमता वाली तीसरी फ्रेश वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट का लोकार्पण नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने किया। इस अवसर पर महापौर सुषमा खर्कवाल भी विशेष रूप से मौजूद रहीं। इस नई यूनिट के शुरू होने के साथ अब लखनऊ नगर निगम प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले लगभग 2000 मीट्रिक टन कचरे का शत-प्रतिशत वैज्ञानिक निस्तारण कर सकेगा।इस समारोह में नगर निगम के महापौर, पार्षदगण, नगर आयुक्त गौरव कुमार, अपर नगर आयुक्त डॉ. अरविंद कुमार राव, मुख्य अभियंता महेश वर्मा, शिवरी गांव के ग्राम प्रधान राम नरेश राजपूत, निगम के अधिकारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि और सैकड़ों की संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।महापौर सुषमा खर्कवाल ने अपने संबोधन में कहा कि यह उपलब्धि नगर निगम की प्रतिबद्धता, नागरिकों की जागरूकता और तकनीकी सहयोग का परिणाम है। उन्होंने कहा कि यह केवल कचरा निस्तारण नहीं, बल्कि एक स्वस्थ, स्वच्छ और टिकाऊ भविष्य की नींव है।नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने बताया कि वर्ष 2022 में जब शिवरी प्लांट का सर्वे कराया गया था, तब सामने आया कि नगर में पहले की एजेंसियों द्वारा एकत्र किया गया लगभग 18.50 लाख मीट्रिक टन लिगेसी वेस्ट बिना प्रोसेसिंग के जमा पड़ा था, जो पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका था। इस चुनौती से निपटने के लिए ?106.18 करोड़ की लागत वाली परियोजना बनाई गई, जिसे राज्य स्तरीय तकनीकी समिति से स्वीकृति मिली।इस परियोजना के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में मेसर्स भूमि ग्रीन एनर्जी को चुना गया जिसने 12 मार्च 2024 से कार्य प्रारंभ किया। अब तक 12.86 लाख मीट्रिक टन लिगेसी वेस्ट का वैज्ञानिक निस्तारण किया जा चुका है। इसमें उत्पन्न होने वाले क्रष्ठस्न, ष्ट&ष्ठ वेस्ट, बायो-सॉयल और कोर्स फ्रैक्शन को रिसाइक्लिंग, को-प्रोसेसिंग और लो-लैंडफिलिंग के माध्यम से पर्यावरणीय रूप से पुन: उपयोग किया जा रहा है।मंत्री ने यह भी बताया कि जब तक प्रस्तावित वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट पूरी तरह स्थापित नहीं हो जाता, तब तक यह फ्रेश वेस्ट यूनिट एक प्रभावी अंतरिम समाधान की भूमिका निभाएगी। भविष्य में क्चह्रह्र मॉडल के तहत वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट की स्थापना की जाएगी जिसकी डीपीआर निर्माणाधीन है।परियोजना के अंतर्गत अब तक 25 एकड़ भूमि को पुन: उपयोग के योग्य बना लिया गया है, जिसका प्रयोग 2100 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता के फ्रेश वेस्ट प्लांट, विंड्रो पैड और ग्रीन बेल्ट के विकास में किया जा रहा है। इस परियोजना की निगरानी हृश्वश्वक्रढ्ढ नागपुर, ढ्ढढ्ढञ्ज रुड़की और ङ्कछ्वञ्जढ्ढ मुंबई जैसे संस्थानों द्वारा की जा रही है ताकि हर चरण में गुणवत्ता और मानकों का पालन सुनिश्चित हो सके। पूरे प्लांट परिसर की निगरानी के लिए 47 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जो 24 घंटे कार्यरत हैं।इस अवसर पर सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के छात्र-छात्राओं ने भी भाग लिया। बच्चों ने शिवरी प्लांट का भ्रमण किया और स्वयं देखा कि किस प्रकार शहर से निकलने वाले कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जाता है। मंत्री ए.के. शर्मा और महापौर सुषमा खर्कवाल ने बच्चों से संवाद किया और उन्हें गीले व सूखे कचरे को अलग-अलग रखने और घर से ही पृथक देने के लिए प्रेरित किया।नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया कि लखनऊ नगर की कुल स्थायी और अस्थायी आबादी से प्रतिदिन लगभग 2000 मीट्रिक टन ताजा कचरा निकलता है, जिसकी प्रोसेसिंग के लिए पहले से ही दो यूनिट (प्रत्येक 700 एमटी) कार्यरत थीं। रविवार को तीसरी यूनिट के लोकार्पण के साथ लखनऊ अब शत-प्रतिशत ताजा कूड़े का निस्तारण करने में सक्षम हो गया है।अपर नगर आयुक्त डॉ. अरविंद कुमार राव ने बताया कि इस परियोजना के माध्यम से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है, बल्कि सर्कुलर इकोनॉमी को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। रिसाइक्लिंग योग्य सामग्री का पुन: उपयोग कर संसाधनों की बचत हो रही है और नए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं। लखनऊ नगर निगम का यह मॉडल अब देश और विदेश के कई शहरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।यह ऐतिहासिक पहल स्वच्छ भारत मिशन के मूल उद्देश्यों को साकार करने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है, जिससे लखनऊ न केवल एक स्वच्छ शहर बनेगा बल्कि की दिशा में भी अग्रसर होगा।