कांवड़ मेला 2025: सुरक्षा और समन्वय को लेकर उत्तराखंड डीजीपी ने दिए सख्त निर्देश, तैयारियां तेज

देहरादून, 26 जून, 2025 – आगामी श्रावण मास कांवड़ मेला 2025 की तैयारियों को लेकर उत्तराखंड पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दीपम सेठ की अध्यक्षता में आज पटेल भवन सभागार, देहरादून में एक उच्चस्तरीय पुलिस गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें राज्य और जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने हिस्सा लिया। डीजीपी ने इस विशाल धार्मिक आयोजन की शांति, सुरक्षा और सुव्यवस्थित संचालन को उत्तराखंड पुलिस की सर्वोच्च प्राथमिकता बताया।
सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम:
डीजीपी ने निर्देशित किया कि संवेदनशील, अतिसंवेदनशील और अत्यधिक भीड़ वाले क्षेत्रों की पहचान कर वहां पर्याप्त संख्या में अनुभवी पुलिस बल, रिजर्व टीमें और महिला पुलिस बल तैनात किए जाएं। संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए एटीएस, बम डिस्पोजल यूनिट और गुप्तचर इकाइयों को भी रणनीतिक बिंदुओं पर सक्रिय रहने के निर्देश दिए गए।

यातायात नियंत्रण और सुगम आवागमन:
यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए सभी मुख्य मार्गों, कांवड़ रूट, वैकल्पिक मार्गों और पार्किंग स्थलों का स्पष्ट ट्रैफिक प्लान तैयार करने और उसका व्यापक प्रचार-प्रसार सीमावर्ती राज्यों तक फ्लेक्स, होर्डिंग और सोशल मीडिया के माध्यम से करने के निर्देश दिए गए। इसके अतिरिक्त, भारी वाहनों के डायवर्जन, अस्थायी पुलिस चौकियां, मोबाइल पेट्रोलिंग और पैदल व डाक कांवड़ियों के लिए सुरक्षित व सुव्यवस्थित मार्ग सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया।

तकनीकी निगरानी और प्रभावी संचार:
तकनीकी सहायता का पूरा उपयोग करते हुए सीसीटीवी कैमरों, ड्रोन और बॉडी वॉर्न कैमरों की मदद से सभी प्रमुख स्थलों की 24×7 निगरानी सुनिश्चित की जाएगी। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए मेला नियंत्रण कक्ष में क्विक रिस्पॉन्स टीम (क्यूआरटी) को निरंतर सक्रिय रखने का निर्देश दिया गया। सोशल मीडिया के माध्यम से त्वरित, प्रामाणिक एवं सकारात्मक जानकारी प्रसारित करने और किसी भी अफवाह या आपत्तिजनक सामग्री पर त्वरित कार्रवाई करने पर भी जोर दिया गया।
जनसहयोग, समन्वय और मूलभूत सेवाएं:
श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, चिकित्सा सहायता, मोबाइल टॉयलेट, रात्रि विश्राम स्थलों, शिविरों और धर्मशालाओं की व्यवस्था स्थानीय प्रशासन के समन्वय से की जाएगी। इन स्थानों पर ठहरने वाले व्यक्तियों का सत्यापन अनिवार्य किया गया है। हरिद्वार में अत्यधिक भीड़ की स्थिति में अन्य घाटों को वैकल्पिक रूप में प्रचारित करने और आमजन को यातायात, सुरक्षा और वैकल्पिक व्यवस्थाओं की समय-समय पर जानकारी देने के निर्देश दिए गए।
अंतरराज्यीय समन्वय और आपातकालीन तैयारी:
सीमावर्ती जिलों और राज्यों के पुलिस अधिकारियों के साथ समन्वय बैठकें आयोजित की जाएंगी। इंटेलिजेंस इनपुट्स पर तत्काल प्रतिक्रिया के लिए एसओपी (Standard Operating Procedure) प्रभावी रूप से लागू की जाएगी। ड्रेस रिहर्सल, मॉक ड्रिल और आपदा प्रबंधन टीमें पूर्व से तैनात रहेंगी। हरकी पैड़ी, नीलकंठ मंदिर, रेलवे स्टेशन, बस अड्डा जैसे भीड़ वाले स्थलों पर विशेष सुरक्षा योजना एवं पब्लिक एड्रेस सिस्टम की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
कानून व्यवस्था और नैतिक वातावरण:
कानून व्यवस्था बनाए रखने और नैतिक वातावरण सुनिश्चित करने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में मांस, शराब एवं मादक पदार्थों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया जाएगा। श्रद्धालुओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करने और असामाजिक या सांप्रदायिक तत्वों पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश भी डीजीपी द्वारा दिए गए।
डीजीपी दीपम सेठ ने विश्वास व्यक्त किया कि उत्तराखंड पुलिस पूर्ण समर्पण, सतर्कता एवं सेवा भावना से कार्य कर रही है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कांवड़ मेला 2025 शांति, सुरक्षा और समन्वय के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हो।

बैठक में अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था- वी0 मुरुगेशन, अपर पुलिस महानिदेशक प्रशासन- ए0पी0 अंशुमान, पुलिस महानिरीक्षक, पी0 एंड एम0 – विम्मी सचदेवा, पुलिस महानिरीक्षक, पीएसी – श्रीमती नीरू गर्ग, पुलिस महानिरीक्षक, फायर – मुख्तार मोहसिन, पुलिस महानिरीक्षक/ निदेशक यातायात- नारायण सिंह नपलच्याल, पुलिस महानिरीक्षक, एस0डी0आर0एफ0 -अरुण मोहन जोशी, पुलिस महानिरीक्षक, गढ़वाल रेंज- राजीव स्वरुप, पुलिस उपमहानिरीक्षक, अपराध एवं कानून व्यवस्था – धीरेन्द्र गुंज्याल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून – अजय सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, हरिद्वार – परमेन्द्र डोभाल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ – नवनीत सिंह एवं अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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