कैलाश मानसरोवर यात्रा की पुनः शुरुआत
कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील को धार्मिक मान्यता में विशेष स्थान प्राप्त है। भगवान शिव का निवास स्थान माने जाने वाले इस पवित्र धरती की यात्रा, 2025 में 30 जून से शुरू होने जा रही है। कोरोना महामारी के चलते पांच वर्षों का विराम के बाद, यह भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्म के अनुयायियों का यहाँ आगमन सदियों से होता आ रहा है, और यह यात्रा एक गहरे आध्यात्मिक अनुभव का मार्गदर्शन करती है।
मानसरोवर यात्रा की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता
कैलाश मानसरोवर यात्रा सदियों से भक्तों द्वारा भगवान शिव की आराधना और मानसरोवर झील के पवित्र जल में स्नान करने के लिए की जाती रही है। यह स्थान विभिन्न धर्मों के लिए भी महत्वपूर्ण रहा है, जहां भक्त अपनी आस्था का प्रदर्शन करते हैं और मान्यता है कि यहां की यात्रा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
यात्रा का नया मार्ग और संचालन
इस वर्ष यात्रा का संचालन कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा किया जाएगा, जिसमें यात्रा का प्रारंभ नई दिल्ली से होगा और लिपुलेख पास, पिथौरागढ़ होते हुए आगे बढ़ेगी। यह यात्रा इस बार टनकपुर से चंपावत होकर जाएगी, जो पहले काठगोदाम और अल्मोड़ा से होकर जाती थी। यह परिवर्तन यात्रा को नए अनुभव और संभावनाएं प्रदान करेगा।

यात्रा के नियम और तैयारी
यात्रा में सम्मिलित होने की आयु सीमा 18 से 70 वर्ष निर्धारित की गई है। भारतीय और चीनी सरकार से आवश्यक परमिट और वीजा की प्राप्ति अनिवार्य है। यात्रा के दौरान गर्म कपड़े, रेनकोट, उचित जूते, मेडिकल किट, टॉर्च, चश्मा, टोपी, और दस्ताने जैसी चीजें साथ रखना आवश्यक है ताकि बदलते मौसम और चुनौतियों का सामना किया जा सके। सात्विक भोजन का सेवन और शांतिपूर्वक भजन कीर्तन का पालन यात्रा के महत्व को बढ़ाता है।
यात्रा का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
कैलाश मानसरोवर की यात्रा भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति और भक्ति के मार्ग में गहरी संवेदनशीलता उत्पन्न करने वाली है। इस यात्रा को लेकर मान्यता है कि इसके दौरान किए गए प्रार्थना और ध्यान से जीवन की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भक्तों को यात्रा के कठिन मार्ग के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होना आवश्यक है, ताकि वे इस पवित्र धरती के अद्वितीय अनुभव का आनंद ले सकें।
यह यात्रा अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक महत्ता के कारण विश्वभर के तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती है। इसके माध्यम से भक्त भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति की प्रबलता को नए स्तर पर ले जा सकते हैं। यात्रा की पुनः शुरुआत भक्तों के लिए आध्यात्मिक खोज का एक नया मार्ग खुलेगी।
डिस्क्लेमर :-
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