हरिद्वार ज़मीन घोटाला: धाकड़ धामी सरकार ने की ऐतिहासिक कार्रवाई, कई शीर्ष अधिकारी निलंबित

देहरादून, 03 जून 2025। हरिद्वार जमीन घोटाले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर दो IAS और एक पीसीएस अधिकारी समेत 12 लोगों को सस्पेंड कर दिया गया है। इसमें बड़ी कार्रवाई हरिद्वार के डीएम कमेन्द्र सिंह, पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी और SDM अजयवीर सिंह के खिलाफ हुई है। अब इस पूरे मामले की जांच विजिलेंस को दी गई है, जो आगे की जांच करेगी।

दरअसल मामला हरिद्वार नगर निगम की करोड़ों की जमीन से जुड़ा है। जहां कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त और सस्ती कृषि भूमि को 54 करोड़ रुपए में खरीदने के मामले ने हलचल मचा दी थी। न तो भूमि की वास्तविक आवश्यकता थी और न ही पारदर्शी बोली प्रक्रिया अपनाई गई। अधिकारियों के स्पष्ट नियमों को दरकिनार कर एक ऐसा सौदा किया गया, जो हर स्तर पर संदिग्धस्पद था।
हरिद्वार नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सराय में कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त 2.3070 हेक्टेयर भूमि को करोड़ों रुपये में खरीदे जाने को लेकर उठे सवालों ने प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर इस प्रकरण की जांच IAS रणवीर सिंह चौहान को सौंपी गई थी, जिन्होंने 29 मई को शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।

सख्ती से किया गया दोषियों पर प्रहार

मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट के आधार पर कार्मिक विभाग को निर्देश दिए कि इस भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। इसी के तहत कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने संबंधित अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इस तरह की सख्त कार्रवाई पहली बार देखने को मिली है जब राज्य की सत्ता में बैठी सरकार ने अपनी ही प्रशासनिक मशीनरी के शीर्ष अधिकारियों पर सीधा और कड़ा प्रहार किया है।

जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि ज़मीन खरीद की अनुमति और प्रशासनिक स्वीकृति देने में हरिद्वार के तत्कालीन डीएम कर्मेन्द्र सिंह की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इसके अलावा:

पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी ने बिना उचित प्रक्रिया के भूमि क्रय प्रस्ताव पारित किया और वित्तीय अनियमितताओं में मुख्य भूमिका निभाई।

एसडीएम अजयवीर सिंह द्वारा जमीन के निरीक्षण और सत्यापन में गंभीर लापरवाही बरती गई, जिससे गलत रिपोर्ट शासन तक पहुंची।

इन अधिकारियों को किया गया निलंबित:

निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार

विक्की – वरिष्ठ व्यक्तिगत सहायक

राजेश कुमार – रजिस्टार कानूनगो, तहसील हरिद्वार

कमलदास – मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार

पहले ही हो चुकी है कार्रवाई:

इस प्रकरण में पूर्व में भी कई अधिकारियों पर कार्रवाई की जा चुकी है:

रवींद्र कुमार दयाल – प्रभारी सहायक नगर आयुक्त (सेवा समाप्त)

आनंद सिंह मिश्रवाण – प्रभारी अधिशासी अभियंता (निलंबित)

लक्ष्मी कांत भट्टू – कर एवं राजस्व अधीक्षक (निलंबित)

दिनेश चंद्र कांडपाल – अवर अभियंता (निलंबित)

वेदपाल – सम्पत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त)

प्रशासनिक संस्कृति में बड़ा बदलाव

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की इस कार्रवाई को केवल एक घोटाले के पर्दाफाश की कवायद नहीं माना जा रहा, बल्कि यह उत्तराखंड की प्रशासनिक और राजनीतिक संस्कृति में निर्णायक बदलाव का संकेत देता है। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है जब सरकार ने सिस्टम के भीतर बैठे उच्च अधिकारियों को जवाबदेह बनाते हुए उन पर सख्त कार्रवाई की है।

हरिद्वार भूमि खरीद प्रकरण अब राज्य की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का प्रतीक बन गया है। मुख्यमंत्री धामी की सख्त नीति और त्वरित निर्णय प्रक्रिया ने यह संदेश दे दिया है कि अब कोई भी अधिकारी कानून से ऊपर नहीं है और प्रशासनिक पारदर्शिता से समझौता नहीं किया जाएगा।

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