देहरादून, 08 जून 2025 : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान वर्ष को समर्पित नाटक ‘हिन्द दी चादर’ के भव्य मंचन में शिरकत की। उत्तराखण्ड सिक्ख कोऑर्डिनेशन कमेटी और श्री गुरू तेग बहादुर चैरिटेबल चिकित्सालय द्वारा दून मेडिकल कॉलेज, पटेलनगर, देहरादून में आयोजित इस कार्यक्रम ने गुरु तेग बहादुर जी के अद्वितीय बलिदान और धर्मरक्षा के योगदान को जीवंत कर दिया।गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान प्रेरणा का स्रोत
मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर श्री गुरु तेग बहादुर जी के साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “जब देश की संस्कृति, आस्था और आत्मसम्मान पर संकट मंडरा रहा था, तब गुरु जी ने अपने प्राणों की आहुति दी। उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। ‘हिन्द दी चादर’ के रूप में गुरु जी ने राष्ट्र की एकता, धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक समरसता के लिए जो सर्वोच्च बलिदान दिया, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है।”

सिख समाज के लिए सरकार की प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र और राज्य सरकार सिख समुदाय के कल्याण और उनके धार्मिक स्थलों के विकास के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने करतारपुर कॉरिडोर, श्री हरमंदिर साहिब को एफसीआरए पंजीकरण, वीर बाल दिवस की घोषणा, 1984 दंगा पीड़ितों को न्याय और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना जैसे कदमों को ऐतिहासिक बताया। सीएम ने बताया कि गोविंद घाट से हेमकुंड साहिब तक 12.5 किलोमीटर लंबे रोपवे का निर्माण तेजी से चल रहा है, जिससे श्रद्धालुओं को 45 मिनट में सुगम यात्रा मिलेगी।

नाटक: इतिहास से प्रेरणा का सशक्त माध्यम
मुख्यमंत्री ने नाटक के आयोजकों और कलाकारों की सराहना करते हुए कहा कि ‘हिन्द दी चादर’ नाटक केवल एक सांस्कृतिक प्रस्तुति नहीं, बल्कि युवा पीढ़ी को गौरवशाली इतिहास से जोड़ने का एक जीवंत प्रयास है। यह मंचन गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान और उनके संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम बना।
भव्य आयोजन, दिग्गजों की मौजूदगी
कार्यक्रम में दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री स. मनजिंदर सिंह सिरसा, विधायक विनोद चमोली, गुरूदेव सिंह सहित नाटक के आयोजक और कलाकार उपस्थित रहे। उत्तराखंड सरकार ने गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान दिवस को राज्यभर में भव्य रूप से मनाने के निर्देश दिए हैं, जिससे सिख समुदाय का गौरव और बढ़ेगा।

‘हिन्द दी चादर’ नाटक का यह मंचन न केवल एक सांस्कृतिक आयोजन था, बल्कि गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान और उनके आदर्शों को जीवंत करने का एक प्रेरणादायी प्रयास भी रहा। यह आयोजन समाज में एकता और धर्म के प्रति सम्मान को और सुदृढ़ करेगा।