— यू-सैक में आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी में 21 विभागों के वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने लिया भाग
देहरादून, 21 जून 2025:
“विकसित भारत 2047 के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं उसके अनुप्रयोगों का लाभ : हिमालयीय राज्यों के दृष्टांत” विषय पर आज उत्तराखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यू-सैक) के सभागार में एक दिवसीय राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन आगामी जुलाई में प्रस्तावित स्टेट स्पेस मीट की तैयारी के तहत किया गया, जिसमें केंद्रीय एवं राज्य स्तरीय रेखीय विभागों की सहभागिता रही।
इस संगोष्ठी का उद्देश्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के वर्तमान और भावी अनुप्रयोगों को लेकर विभागीय स्तर पर योजनाएं बनाना और एक सशक्त विजन डॉक्यूमेंट तैयार करना था। इसी दस्तावेज के आधार पर उत्तराखण्ड राज्य का रोडमैप बनाकर अगस्त 2025 में होने वाली राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रस्तुत किया जाएगा।
यू-सैक के निदेशक प्रो. एम.पी.एस. पंत ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए बताया कि राज्य की विकास योजनाओं को आठ प्रमुख विषयों — कृषि, पर्यावरण एवं ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर, जल संसाधन, शिक्षा व स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, विकास योजना और संचार व नेविगेशन — में विभाजित कर अंतरिक्ष तकनीक आधारित क्रियान्वयन की रणनीति तैयार की जा रही है।
उन्होंने बताया कि हिमालयी राज्य भूगर्भीय रूप से अति संवेदनशील हैं और अंतरिक्ष तकनीक के माध्यम से आपदा निगरानी, पर्यावरण अनुश्रवण, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और आधारभूत ढांचे के विकास में सहायता ली जा रही है। विशेषकर उच्च विभेदी सैटेलाइट डाटा का प्रयोग कर आपदा संभावित क्षेत्रों की निरंतर निगरानी की जा रही है।
संगोष्ठी में इसरो के क्षेत्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (उत्तर) के वैज्ञानिक डा. अभिनव शुक्ला ने आगामी राष्ट्रीय मीट की रूपरेखा प्रस्तुत की, वहीं भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (IIRS) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. प्रवीण ठाकुर ने भारत के अंतरिक्ष मिशनों और तकनीकी अनुप्रयोगों पर विस्तृत प्रस्तुति दी।

इस अवसर पर राज्य के 21 रेखीय विभागों — वन, सिंचाई, जल संस्थान, मृदा, पशुपालन, आपदा प्रबन्धन, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, प्रदूषण नियंत्रण, कृषि, उद्यान, जैवविविधता बोर्ड, लोक निर्माण, राजस्व, ग्राम्य विकास आदि — से आये 40 अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
संगोष्ठी का संचालन डा. सुषमा गैरोला (वैज्ञानिक, यू-सैक) द्वारा किया गया।
संगोष्ठी में यूसैक के वैज्ञानिकों. डा. अरूणा रानी, डा. आशा थपलियाल डा. प्रियदर्शी उपाध्यायए डा. गजेन्द्र सिंह रावत, डा. नीलम रावत, पुष्कर कुमार, शशांक लिंगवाल, डा. दिव्या उनियाल, आर.एस. मेहता, सुधाकर भट्ट, प्रदीप सिंह रावत, देवेश कपरूवाण, श्री सौरभ डंगवाल, गोविन्द सिंह नेगी, विकास शर्मा, कुशलानंद सेमवाल,चन्द्रमोहन फर्स्वाण, मीना पंत आदि उपस्थित थे।
इस संगोष्ठी से उत्तराखण्ड के लिए तैयार किया जा रहा अंतरिक्ष तकनीक आधारित विकास रोडमैप, न केवल हिमालयी राज्यों के लिए एक उदाहरण बनेगा, बल्कि “विकसित भारत 2047” के राष्ट्रीय लक्ष्य की दिशा में भी एक सार्थक पहल सिद्ध होगा।