बस्ती बचाओ आंदोलन ने किया  प्रेस क्लब में सेमिनार आयोजित

देहरादून(आरएनएस)। बस्ती बचाओ आंदोलन की ओर से सोमवार को प्रेस क्लब में सेमिनार आयोजित किया गया। इसमें वक्तओं ने बस्तीवासियों को मालिकाना हक देने और एलिवेटेड रोड परियोजना को निरस्त करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि बस्तियों को उजाड़ने का प्रयास किया गया तो इसका विरोध करेंगे। मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और किसान सभा महामंत्री बीजू कृष्णन ने मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि एलिवेटेड रोड के प्रभावितों की हर लड़ाई में हम उनके साथ हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने दिल्ली से लेकर देहरादून तक चुनाव के दौरान यह वादा किया था कि बस्तियों में रहने वाले लोगों को मालिकाना हक दिया जाएगा। लेकिन ठीक चुनाव के बाद बस्तियों में कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी विकास कार्य में सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह लोगों को उजाड़ने से पहले उनका पूनर्वास करे। उन्होंने कहा कि केरल की सरकार ने हर विकास कार्य में विस्थापन नीति के माध्यम से प्रभावितों के लिए मुआवजा सुनिश्चित किया। आज यही विकल्प हमारी सरकारों को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीपीएम सांसद आमराराम और बालाकृष्णन पहले ही प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर उक्त योजना पर आपत्ति जता चुके हैं। इससे पूर्व किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेन्द्र सजवाण ने अध्यक्ष मंडल की ओर से उनका स्वागत किया। बीजू कृष्णन ने शौर्य चक्र बिजेता 93 वर्षीय सुबेदार बागसिंह का बुके देकर सम्मान किया। इस अवसर पर नितिन मलेठा, नुरैशा अंसारी, अल्ताफ मौहम्मद, एसएस नेगी, रंजन सोलंकी, शम्भू प्रसाद ममगाई, अम्बेडकर युवक संघ के अध्यक्ष दिले राम रवि, नवनीत गुंसाई, डॉ सुनील, प्रेमा, नरेन्द्र, विजय भट्ट आदि ने संबोधित किया। सेमिनार का मूल प्रस्ताव डीएवी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष व सीटू के जिला महामंत्री लेखराज ने रखा, जिसे सर्वसम्मति पारित किया। सेमिनार का संचालन संयोजक अनन्त आकाश ने किया। इस दौरान पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष गंगाधर नौटियाल, शिवप्रसाद देवली, पूर्व प्रमुख राजेन्द्र पुरोहित, भगवंत पयाल, तन्मय ममगांई, रोशन मौर्य, शैलेन्द्र परमार, हिमांशु चौहान, दलजीत सिंह आदि मौजूद रहे। ये प्रमुख मुद्दे उठाए वक्ताओं ने कहा कि रिस्पना- बिन्दाल एलिवेटेड रोड के लिए भूमि अधिग्रहण, 7 मई 2025 से प्रभावी नोटिफिकेशन मुख्य रूप से बस्तियों के गरीब को लक्षित करता है, जबकि अमीरों और सरकारी सम्पत्तियों को छोड़ा गया है। इसके अलावा मुआवजा देने और पुनर्वास की व्यवस्था करने की मांग उठाई।

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