न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा मामले में एक और खुलासा, कई गवाहों ने देखा था नोटों को जखीरा

नईदिल्ली,19 जून (आरएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश यशवंत वर्मा द्वारा इस्तीफा देने से इंकार करने और समिति की जांच को अन्यायपूर्ण बताने के बाद एक और जानकारी सामने आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच समिति ने बताया कि न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली स्थित आवास में कई गवाहों ने नोटों का जखीरा देखा था, लेकिन उन्होंने कभी शिकायत नहीं की।
समिति ने बताया कि गवाहों ने न्यायिक अधिकारियों को भी सूचित नहीं किया था।
जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला कि न्यायमूर्ति वर्मा पर लगे आरोप स्पष्ट हैं और उनको पद से हटाने के लिए वाजिब हैं।
समिति को वर्मा के घर से कुछ जले हुए नोट मिले थे। समिति ने प्रत्यक्षदर्शी विवरण, दृश्य साक्ष्य, घटना की रिपोर्ट न करने सहित उनके ‘अप्राकृतिक’ आचरण को चिह्नित किया।
समिति ने वर्मा की बेटी सहित 55 गवाहों से पूछताछ की और पुलिस कर्मियों की पुष्टि करने वाली गवाही के साथ-साथ वीडियो प्राप्त की थी।
समिति का कहना है कि कुछ गवाहों ने यह तक कहा कि वर्मा के घर में इतनी मात्रा में नकदी देखकर वह भी हैरान रह गया और उसने अपने जीवन में इतना पैसा पहली बार देखा था।
समिति ने बताया कि न्यायमूर्ति वर्मा ने उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया है और उनकी जानकारी न होने का दावा अविश्वसनीय है, क्योंकि अगर कोई साजिश थी, तो उन्होंने हाई कोर्ट, सीजेआई या पुलिस में शिकायत क्यों नहीं दर्ज की थी।
समिति ने बताया कि न्यायाधीश के निजी सचिव राजिंदर सिंह कार्की ने अग्निशमन अधिकारियों को कहा था कि वे नकदी मिलने की बात का रिपोर्ट में जिक्र न करें।
समिति का कहना है कि नकदी को कई लोगों ने देखा है, इसलिए यह मानना अविश्वसनीय है कि उनको फंसाने के लिए ऐसा किया गया है।
जांच में कार्की और उनकी बेटी दीया वर्मा की “साक्ष्यों को नष्ट करने या घटनास्थल को साफ करने” में संभावित भूमिका भी दिखी है।
न्यायमूर्ति वर्मा ने जांच समिति द्वारा दोषी ठहराए जाने केबाद 6 मई को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना को पत्र लिखकर इस्तीफा देने, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से इंकार कर दिया था।
उन्होंने अपने तीखे पत्र में आंतरिक जांच को दोषपूर्ण बताया था और व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर न दिए जाने पर आपत्ति जताई थी।
बता दें कि समिति ने 3 मई को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके बाद सीजेआई ने उनको इस्तीफा देने को कहा था।
केंद्र सरकार आगामी मानसून सत्र के दौरान संसद में न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस संबंध में विपक्ष का समर्थन मांगा है। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल न्यायाधीश के खिलाफ प्रस्ताव पेश करेंगे।
दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च आग लग गई थी। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा शहर में नहीं थे।
उनके परिवार ने अग्निशमन और पुलिस को बुलाया। आग बुझाने के बाद टीम को घर से भारी मात्रा में नकदी मिली थी।
इसकी जानकारी तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना को हुई तो उन्होंने कॉलेजियम बैठक बुलाकर न्यायमूर्ति वर्मा का स्थानांतरण इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया। इसके बाद जांच समिति गठित हुई थी।

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