हरिद्वार,24जून। “खेल केवल शरीर को नहीं, बल्कि चरित्र को भी गढ़ता है,” यह कथन प्रेमचंद अग्रवाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, ने हरिद्वार में आयोजित 42वीं जूनियर क्योरुगी और 15वीं पूमसे नेशनल जूनियर, तथा 39वीं क्योरुगी और 13वीं पूमसे सब-जूनियर नेशनल तायक्वोंडो प्रतियोगिता के उद्घाटन के अवसर पर कहे। यह दो दिवसीय प्रतियोगिता 23 और 24 जून को हरिद्वार के प्रेम नगर आश्रम मल्टीपरपज हॉल में तायक्वोंडो फेडरेशन ऑफ इंडिया के नेतृत्व में तायक्वोंडो उत्तराखंड द्वारा आयोजित की गई।
प्रतियोगिता का शुभारंभ प्रेमचंद अग्रवाल ने किया, जिसमें तायक्वोंडो फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव, श्री प्रभात कुमार शर्मा ने विशिष्ट अतिथि की भूमिका निभाई। इस राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में उत्तराखंड सहित लगभग 1000 खिलाड़ियों ने भाग लिया। इन खिलाड़ियों में मुख्य रूप से उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, बिहार, बंगाल, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, नगर हवेली दमन, और जम्मू-कश्मीर के युवा प्रतिभागी शामिल थे।
उद्घाटन समारोह में तायक्वोंडो उत्तराखंड के खिलाड़ियों ने गणेश वंदना, गढ़वाली डांस, योगा और तायक्वोंडो का शानदार प्रदर्शन किया। इन मनमोहक प्रस्तुतियों को देखकर प्रेमचंद अग्रवाल भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि इन छोटे बच्चों को तायक्वोंडो करते देख उन्हें अपना बचपन याद आ गया। उन्होंने बताया कि वे स्वयं एक राष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे हैं।
अग्रवाल ने देश भर से आए सभी खिलाड़ियों और उनके कोच का हार्दिक स्वागत किया और उन सभी खिलाड़ियों को बधाई दी जिन्होंने लंबे समय से कड़ी मेहनत की और इस मंच पर अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उन्होंने विशेष रूप से योगा के प्रदर्शन की सराहना की, यह कहते हुए कि योगा हमें अपने अतीत से जोड़ती है और एक उभरता हुआ खेल है, जिसे देखकर उन्हें बहुत खुशी हुई। उन्होंने सभी खिलाड़ियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना भी की।
तायक्वोंडो क्या है?
तायक्वोंडो मार्शल आर्ट का एक कोरियाई रूप है, जिसमें मुख्य रूप से पंचिंग और किकिंग तकनीकों पर जोर दिया जाता है। इसमें सिर की ऊंचाई वाली किक, स्पिनिंग जंप किक और तेज किकिंग तकनीकें शामिल हैं। तायक्वोंडो का शाब्दिक अर्थ “लात मारने और मुक्का मारने का तरीका” है। यह एक पारंपरिक कोरियाई मार्शल आर्ट है, जिसका शारीरिक प्रशिक्षण न केवल शारीरिक शक्ति बढ़ाता है, बल्कि मानसिक अनुशासन और एकाग्रता के माध्यम से मन की शक्ति को भी बढ़ावा देता है।