नईदिल्ली,22 जून। आईसीआईसीआई बैंक कभी एचडीएफसी को अधिग्रहित करना चाहती थी, लेकिन इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। यह खुलासा एचडीएफसी लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष दीपक पारेख ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर से बातचीत के दौरान किया। उन्होंने यह भी बताया कि चंदा कोचर ने इस मर्जर का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने कहा कि जब एचडीएफसी लिमिटेड और एचडीएफसी बैंक का मर्जर हुआ, तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विलय को लेकर काफी सपोर्ट किया।
दीपक पारेख ने चंदा कोचर से साक्षात्कार में खुलासा किया, मुझे याद है कि आपने एक बार मुझसे बात की थी, आपने कहा था कि आईसीआईसीआई ने एचडीएफसी की शुरुआत की थी। आप घर वापस क्यों नहीं आते? यह आपका प्रस्ताव था। उन्होंने यह कहते हुए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया कि यह हमारे नाम, बैंक और सभी के साथ उचित नहीं होगा। पारेख ने कहा कि यह बैंक के साथ मर्जर होने के पहले की घटना है।
बाद में नियामक दबाव के चलते जुलाई, 2023 में एचडीएफसी बैंक के साथ रिवर्स मर्जर पूरा हुआ। आरबीआई ने मर्जर के दौरान काफी सपोर्ट किया। हालांकि, उन्होंने कोई छूट, राहत या अतिरिक्त समय नहीं दिया था। दीपक पारेख कहते हैं कि यह प्रक्रिया काफी छुपा कर की जा रही थी। मर्जर के दिन को याद करते हुए पारेख ने कहा कि वह दिन खुशियों और दुख दोनों का दिन था। हालांकि, यह फैसला संस्थाओं के लिए काफी अच्छा रहा।