हवाई यात्रा की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न

अशोक शर्मा
हाल ही में अहमदाबाद में हुई हवाई दुर्घटना ने हमारे दिलों को झकझोर दिया है और हवाई यात्रा की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।  इस अत्यंत दुखद घटना में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल्कुल सही कहा कि संवेदना व्यक्त करने के लिए उनके पास शब्द नहीं है।  केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी गुरुवार की रात को लगभग यही बात कही। दरअसल,अब समय आ गया है कि हम इन हादसों के मूल कारणों का गहन विश्लेषण करें और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।  दरअसल मानवीय चूक अक्सर विमान दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण होता है।  इसमें पायलटों की थकान, अपर्याप्त प्रशिक्षण, गलत निर्णय लेना, या वायु यातायात नियंत्रण की त्रुटियां शामिल हो सकती हैं।  दबाव में गलतियां होने की संभावना बढ़ जाती है, खासकर जब पायलटों को अचानक या अप्रत्याशित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। विमानों में यांत्रिक विफलताएं या प्रणाली (सिस्टम) की खराबी भी दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है।  इसमें इंजन का खराब होना, लैंडिंग गियर की समस्या, या विमान के विमानन इलेक्ट्रॉनिक चैनल में खराबी शामिल हो सकती है।  नियमित रखरखाव की कमी या घटिया पुर्जों का उपयोग भी इस जोखिम को बढ़ा सकता है। अत्यधिक खराब मौसम की स्थिति, जैसे भारी बारिश, घना कोहरा, तेज़ हवाएँ, या बिजली गिरने से भी विमान का नियंत्रण खो सकता है, जिससे दुर्घटना हो सकती है।  मौसम पूर्वानुमान की गलत व्याख्या या जोखिम भरे मौसम में उड़ान भरने का निर्णय भी घातक साबित हो सकता है।  गलत निर्देश, संचार में कमी, या हवाई क्षेत्र के अनुचित प्रबंधन से भी विमानों के बीच टकराव या अन्य दुर्घटनाएं हो सकती हैं।  पायलटों के लिए कठोर और नियमित प्रशिक्षण अनिवार्य है, जिसमें आपातकालीन प्रक्रियाओं और दबाव में निर्णय लेने का अभ्यास शामिल हो।  उनकी थकान को कम करने के लिए पर्याप्त आराम के घंटे और मानसिक स्वास्थ्य सहायता भी महत्वपूर्ण है।
विमानों का नियमित और व्यापक रखरखाव सुनिश्चित किया जाना चाहिए।  प्रत्येक उड़ान से पहले और बाद में गहन जांच होनी चाहिए, और किसी भी संदिग्ध हिस्से को तुरंत बदला जाना चाहिए।  गुणवत्ता नियंत्रण पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए।  बेहतर और अधिक सटीक मौसम पूर्वानुमान प्रणालियां विकसित की जानी चाहिए, और पायलटों को वास्तविक समय में अद्यतन जानकारी प्रदान की जानी चाहिए।  खराब मौसम में उड़ान भरने के लिए सख्त नियमों का पालन किया जाना चाहिए।
एटीसी प्रणालियों का आधुनिकीकरण किया जाना चाहिए और कर्मियों को नवीनतम तकनीकों और आपातकालीन प्रबंधन प्रक्रियाओं में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।  संचार में स्पष्टता और त्रुटिहीन समन्वय सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
विमानन इलेक्ट्रॉनिक्स और सुरक्षा प्रणालियों का उपयोग बढ़ाना चाहिए, जो पायलटों को खतरों की प्रारंभिक चेतावनी दे सकें और आपातकालीन स्थितियों में सहायता कर सकें।  प्रत्येक दुर्घटना की एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, जिसके निष्कर्षों को सार्वजनिक किया जाए।  इससे न केवल जवाबदेही सुनिश्चित होगी, बल्कि भविष्य में ऐसी गलतियों से सीखने का अवसर भी मिलेगा। दरअसल, अत्याधुनिक तकनीक के कारण भारत सहित पूरी दुनिया में विमान दुर्घटनाओं में कमी आई है।  अब वे यदा-कदा होती हैं, पर अहमदाबाद जैसा भयावह हादसा दुर्लभ है। बहरहाल, एक बार सुविधाओं में कमी की अनदेखी की जा सकती है, पर हवाई यात्रियों की सुरक्षा से तो कोई समझौता हो ही नहीं सकता।  यह एक राष्ट्रीय त्रासदी है।  ऐसा हदसा फिर से ना हो, इसकी जिम्मेदारी विमान कंपनियों, एयरवेज कंपनियों और सरकार तीनों को लेनी होगी। 

( लेख में व्यक्त लेखक के निजी विचार हैँ)

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