खालिस्तानी भारत विरोधी कार्यों के लिए कनाडा का इस्तेमाल कर रहे

0-कनाडाई रिपोर्ट में खुलासा
ओटावा,19 जून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कनाडा दौरे के कुछ घंटे बाद कनाडा की खुफिया एजेंसी कैनेडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (सीएसआईएस) ने खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है।
सीएसआईएस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि खालिस्तानी चरमपंथी कनाडा की धरती पर रहकर भारत में हिंसा को बढ़ावा देने, धन जुटाने और अन्य घातक योजनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, खालिस्तान आंदोलन से जुड़े व्यक्ति और नेटवर्क कनाडा में सक्रिय हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, 1980 के दशक के मध्य से, कनाडा में राजनीतिक रूप से प्रेरित हिंसक उग्रवाद का खतरा कनाडा स्थित खालिस्तानी चरमपंथियों से सामने आया है। ये पंजाब में खालिस्तान नाम का एक स्वतंत्र राष्ट्र राज्य बनाने की कोशिश में जुटे हैं, जिसके लिए हिंसक साधन का उपयोग और समर्थन कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि कनाडा से उभरने वाला वास्तविक और कथित खालिस्तानी चरमपंथ कनाडा में भारतीय विदेशी हस्तक्षेप गतिविधियों को बढ़ा रहा है।
सीएसआईएस रिपोर्ट में खालिस्तानी चरमपंथियों को कुछ व्यक्तियों का एक छोटा गुट बताया गया है, जो अपने गलत उद्देश्यों के लिए भारत विरोधी कार्यों को कनाडा से जारी रखे हुए हैं।
सीएसआईएस की यह रिपोर्ट भारत के उस दावे को पुख्ता करता है, जो उसने हर बार कनाडा के सामने उठाई है और खालिस्तानी आतंकवाद को लेकर चिंता जताई है।
हालांकि, हर बार कनाडा ने मामले में आंख मूंद ली थी। अब मामले में कुछ ठोस कदम की संभावना है।
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कनाडा के कनानास्किस में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे थे। इस दौरान उनसे नवनियुक्त प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से मुलाकात हुई थी।
दोनों ने द्विपक्षीय मुलाकात में राजनयिक सहयोग को दोबारा से बढ़ाने पर सहमति जताई है, जो पिछले दिनों प्रभावित हुई थी।
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय अपराध, आतंकवाद से निपटने और व्यापार में अवसरों को बढ़ाने पर चर्चा की गई है।
भारत-कनाडा के रिश्तों में सितंबर 2023 में तब खटास आई, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय एजेंटों पर ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी आतंकवादी और कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने की संभावना जताई।
हालांकि, भारत ने दावों को बेतुका कहा और कनाडा को खालिस्तान समर्थक तत्वों का सुरक्षित स्थान बताया।
इसके बाद ओटावा ने तत्कालीन उच्चायुक्त संजय वर्मा सहित कई राजनयिकों को निज्जर हत्या से जोड़ा।
इसके बाद देशों ने अपने-अपने राजनयिकों को वापस बुलाया।

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