साईं ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में विश्व रक्तदाता दिवस पर विचार गोष्ठी आयोजित

डॉ० अनिल वर्मा को अवॉर्ड ऑफ ऑनर से नवाजा गया।

 देहरादून। साईं ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, राजपुर रोड, देहरादून द्वारा  भारतीय रेडक्रास सोसायटी देहरादून के सहयोग  से विश्व रक्तदाता दिवस की थीम “रक्त दो – आशा दो – मिलकर हम जीवन बचाएं ” विषय पर एक  विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता 155 बार रक्तदान कर चुके यूथ रेडक्रास सोसायटी के रक्तदाता शिरोमणि डॉ० अनिल वर्मा को साईं इंस्टीट्यूट के निदेशक सुन्दर ठाकुर, प्रिंसिपल डॉ० संध्या डोगरा, जिला रेडक्रास सोसायटी चेयरमैन डॉ० एम एस अंसारी तथा सचिव कल्पना बिष्ट ने साईं ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस “अवॉर्ड ऑफ ऑनर” तथा “रेडक्रास प्रतीक चिह्न” भेंटकर सम्मानित किया गया। 
      कार्यक्रम का शुभारंभ साईं ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के निदेशक सुन्दर ठाकुर के स्वागत संबोधन से हुआ। उन्होंने कहा कि रक्त स्वस्थ मानव जीवन का आधार  है। शरीर की अधिकांश बीमारियां रक्त जांच से पकड़ में आ जाती हैं। रक्त की कमी अनेक व्याधियों का कारण बनती है। जहां तक प्रश्न रक्तदान का है तो यह हम सभी  का नैतिक कर्त्तव्य है।
        मुख्य अतिथि जिला रेडक्रॉस सोसायटी के चेयरमैन डॉ० एम एस अंसारी ने कहा कि रक्तदान समाज सेवा का सरलतम माध्यम है।
          विचार गोष्ठी में  साईं  काॅलेज ऑफ नर्सिंग की  छात्राओं द्वारा रक्तदान में युवाओं का दायित्व, महिलाओं की भूमिका, रक्तदान में अंधविश्वास तथा भ्रांतियोंआदि पर विचार व्यक्त किए।
     मुख्य वक्ता अनिल वर्मा ने थीम पर बोलते हुए बताया कि रक्त दुनियां का सबसे महंगा तरल पदार्थ है परन्तु आजतक  इसका कोई विकल्प मनुष्य नहीं खोज पाया है। यह ना तो फैक्ट्री, लैबोरेट्री आदि में बनाया जा सकता है न ही जमीन में कुछ उगाकर इसका उत्पादन किया जा‌ सकता है। केवल एक स्वस्थ व्यक्ति का रक्त ही मृत्यु के कगार पर खडे़ बीमार व्यक्ति को लेकर उसकी जान बचाई जा सकती है। इसीलिए रक्तदान को जीवनदान कहा जाता है।
        डॉ० वर्मा ने रक्त की आवश्यकता, महत्व, रक्तदाता की योग्यता / अयोग्यता , रक्तदान की प्रक्रिया, रक्तदान से पहले होने वाली नि:शुल्क जांचों, डोनर कार्ड / सम्मान पत्र आदि की विस्तृत जानकारी दी। साथ ही एनीमिया, थैलेसीमिया माईनर/मेजर , हीमोफीलिया, सिकल सेल जैसे रक्तरोगों के उपचार व निदान के बारे में बताया। उन्होंने युवाओं को विवाह से पूर्व अपनी व अपने होने वाले जीवनसाथी की थैलेसीमिया जांच रिपोर्ट का मिलान अवश्य करके ही विवाह करने  की सलाह दी ताकि भविष्य में होने वाली संतान
थैलेसीमिया के अभिशाप से पीड़ित पैदा न हो।
   डॉ० वर्मा ने आजकल बड़ी संख्या में युवाओं में एनीमिया होने पर चिंता व्यक्त करते हुए  जंक फूड/फास्ट फूड छोड़ने व ईंट राईट इण्डिया के तहत् भारतीय थाली जिसमें मोटा अनाज व हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल हों खाने की सलाह दी । इसके अतिरिक्त नशामुक्त जीवन अपनाने की सलाह देते हुए नारा दिया कि “जंक फूड-फास्ट फूड व नशा छोड़ो,
  रक्तदान से नाता जोड़ो”।
      उन्होंने रक्तदान के प्रति लोगों में अंधविश्वासों, भ्रामक जानकारियों को दरकिनार करते हुए रक्तदान करने के अनेक फायदे बताते हुए कहा कि नियमित रक्तदान करने वालों को 85 प्रतिशत हार्ट अटैक,90 प्रतिशत कैंसर, पैरालिसिस, ब्रेन स्ट्रोक सहित अनेक बीमारियां होने का खतरा बहुत कम होता है। रक्तदान हाई बीपी , कोलेस्ट्रॉल व ट्राईग्लिसराइड को नियंत्रण करने में सहायक होता है। एक बार  रक्तदान करने से लगभग 700 कैलोरी फैट बर्न होता है जिससे अनेक बीमारियों की जड़ मोटापा कम होता है। शरीर में बोन मैरो एक्टिवेट होने से नये बलड सेल्स शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं।
      धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रिंसिपल डॉ० संध्या डोगरा ने मुख्य वक्ता डॉ० अनिल वर्मा द्वारा वैज्ञानिक आधार पर रक्तदान, विभिन्न रक्तरोग एवं उपचार तथा नियमित रक्तदान करने के लाभ बताने की सराहना करते हुए विचार गोष्ठी  मेँ उपस्थित समस्त अतिथियों का आभार व्यक्त किया l

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