अजय दीक्षित
गूगल हेड क्वाटर में कैंपस के लोन की बढ़ी हुई घास काटने के लिए मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है बल्कि बकरियों को लोन में छोड़ देते हैं ताकि लोन की घास एक सीमा से अधिक नहीं बढ़ सके। ऐसा इस लिए किया जाता है क्योंकि घास काटने की मशीनों से कंपन होता है और उससे कंपनी के कर्मचारियों, अधिकारियों में चिड़चिड़ापन महसूस होता है जो उनकी कार्य क्षमता ब दक्षता को प्रभावित करता है।
मेरे एक मित्र कैलिफोर्निया के शहर लॉस एंजिल्स में रहते और गूगल में सॉफ्ट वेयर इंजीनियर हैं, उन्होंने यह बकाया सुनाया कि बड़ी संस्थान अपने कर्मचारियों के मनोविज्ञान को पढ़ने और संतुलित करने के लिए क्या क्या नहीं करते हैं। मुझे यह सुनकर अचरज नहीं हुआ क्योंकि यह बात सही है कि संस्थानों में बेहतर व्यवस्था के लिए मनोविज्ञान के चिकित्सक रखे जाते हैं जो समय समय पर बिना परीक्षण किए नए नए तकनीकी कौशल के लिए प्रबंधन को सुझाव देते हैं।यह भी एक मनोविज्ञान है।ये मनो एक्सपर्ट कर्मचारियों, अधिकारियों के घरों का दौरा भी जब करते हैं तब उन्हें ऐसा लगता है कि उक्त कर्मचारी या अधिकारी की कार्य क्षमता ब दक्षता का उपयोग ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है।
ये विशेषज्ञ उनके घर जा कर उनकी पत्नी, बच्चों से बात करते हैं और यहां तक कि पर्दा के रंग, सोफे का रंग, रसोई की स्थिति को भी कंपनी की ओर से बदल बाते है लेकिन मामला कर्मचारियों, अधिकारियों के संज्ञान में लाए बिना।
सेनफ्रांसिस्को में अमेजॉन नामक बहुद्देशीय,कंपनी का मुख्यालय है उसने अपने कर्मचारियों, अधिकारियों की कोई ड्रेस नहीं बनाई है न ही प्रबंधन प्रतिदिन इनसे रूबरू होता है और बस क्या कार्य करना यह तय होता है और उसे बड़े बारीकी से जांचा जाता है और तब उसकी क्षमता,का कार्य कार्य जाता है।इन कर्मचारियों अधिकारियों को एक से पांच करोड़ रुपए के पैकेज पर काम दिया गया है।
यूरोपीय देशों में जर्मनी फ्रांस, इटली, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया,अमेरिका, में ऐसा नियमित रूप से होता है। कर्मचारियों अधिकारियों के छुट्टी के दिन तय है और उस दिन उन्होंने किया किया इसका भी परीक्षण किया जाता है।अमेरिका,इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया साउथ अफ्रीका, फ्रांस इटली
बेल्जियम में क्रायोजेनिक इंजन, बोइंग , लड़ाकू विमानों, रॉकेट, नए नए तकनीकी संचार,बनाए जाते हैं। और इन उत्पादों को बनाने के उन्नत किस्म का माहौल बनाया जाता है
वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड का मुख्यालय मिलान इटली में है और शहर से 50 किलो मीटर दूर है लेकिन कर्मचारियों, अधिकारियों को सुविधाएं पांच सितारा है।
भारत में कुछ इस प्रकार का माहौल तो नहीं है लेकिन इसरो, आईआईटी, एम्स ने इस दिशा में कुछ कार्य किया है ऐसा पूर्व राष्ट्रपति स्व अब्दुल कलाम ने लिखा भी है कि इसरो के वैज्ञानिकों को सरोद सुबह और वायलिन रात्रि को सोने से पहले बजा कर मेडिटेशन लेने का अनुरोध किया था ताकि
प्रयोगशाला ध्यान विचलित न हो हताशा न आए क्योंकि मिसाइल और उपग्रह ऐसे क्षेत्र हैं जहां सफलता सौ बार असफल होने के बाद भी मिल जाय तो आप प्रवीण्य हो।
लेकिन बढ़ती जनसंख्या दबाव के चलते भारत को अभी दिल्ली दूर ही दिख रही है। मनोविज्ञान कैसा है यह कार्यकुशलता पर प्रभाव पड़ता है। राजनीतिक क्षेत्र में भी
ऐसे नेता जो कम बोलते हैं,सटीक बोलते हैं, जनता से आंखें मिला कर बात करते हैं अधिक सफल होते हैं। एस जयशंकर, राजनाथ सिंह, अश्वनी वैष्णव, पियूष गोयल, शिवराज सिंह, और सबसे बड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सफल नेता हैं।
इस प्रकार की प्रशिक्षण रैली या लोको पायलट, पायलट, फाइटर जेट पायलट की भी होनी चाहिए। देश के मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर को भी चिड़चिड़ापन महसूस नहीं होना चाहिए।
आजकल इंटरनेट युग में मोबाइल भी एक जरूरत हो कर परेशानी का कारण भी बन गयी है।अब मिनिट तो मिनिट जानकारी चाहिए। इससे एक सीमा के बाद कोप्त हो जाती है।
घरों में सारगर्भित पेंटिंग लगाना,गमले उगाना ,बेल चढ़ाना,
फूल उगाना , हरसिंगार,रातरानी,मोगरा,की खुशबू से घर को सराबोर करने से सकूं मिलता है। सबसे आश्चर्य यह कि दोपहर को एक घंटे की नीद से कार्य करने की अवधि बढ़ जाती है यह भी एक मनोविज्ञान है। मनुष्य काम (सेक्स)
बिना अधूरा है और उसे यह खुराक आवश्यक है। ऐसा नहीं करने पर कुंठा का जन्म होता है।
अभी अफगानिस्तान में अमेरिका,इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, की सेनाएं युद्ध में थी लेकिन सैनिकों के मनोरंज के लिए अमेरिका से सेक्स वर्कर्स को भेजा गया था और यह सत्य घटना है।
( लेख में व्यक्त लेखक के निजी विचार हैं )