“उत्तराखंड में डबल इंजन सरकार के 8 वर्ष- विफलताओं का मीनार” – गरिमा

देहरादून,दिनांक:11जून 2025 : विगत दिवस भाजपा प्रदेश मुख्यालय से प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट एवं राज्य सरकार के मुखिया द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी के 11 वर्षों को सेवा सुशासन और गरीब कल्याण को समर्पित बताना उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दासानी ने खोखला और कोरा झूठ करार दिया।दसौनी ने कहा कि केंद्र सरकार के 11 सालों का लेखा-जोखा देने से पहले प्रदेश की भाजपा सरकार को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड में भाजपा की डबल इंजन सरकार को सत्ता में आए 8 वर्ष पूरे हो चुके हैं। प्रचंड बहुमत के बावजूद सरकार ने जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने में गंभीर विफलताएं दिखाई हैं। वादों और नारों की राजनीति के पीछे जो सच्चाई छिपाई जा रही है, वह अब जनता के सामने स्पष्ट होती जा रही है। विज्ञप्ति जारी कर दसौनी ने भाजपा सरकार के 8 वर्षों की मुख्य विफलताएं गिनाई।

राजनीतिक अस्थिरता:
गरिमा ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में यानी 2017 से 2022 के बीच उत्तराखंड राज्य में भाजपा द्वारा 3 मुख्यमंत्री (त्रिवेंद्र रावत,तीरथ रावत और पुष्कर सिंह धामी)बदले गए — यह सत्ता की अस्थिरता और गुटबाजी को उजागर करता है।गरिमा के अनुसार नेतृत्व में बार-बार बदलाव ने नीति निर्माण और विकास कार्यों की निरंतरता को बाधित किया।
भ्रष्टाचार और भर्ती घोटाले:
गरिमा ने कहा कि UKSSSC पेपर लीक और अन्य भर्ती घोटालों ने युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया। अब तक न ही ठोस कार्रवाई हुई, न ही पारदर्शिता सुनिश्चित की गई।
पलायन और गांवों का खाली होना:
गरिमा ने कहा कि सरकार ‘रिवर्स पलायन’ की बात करती रही, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी 4,000 से अधिक गांव वीरान हैं। रोजगार और मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लोग गांव छोड़ने को मजबूर हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली:
दसौनी ने कहा कि कोविड काल में ऑक्सीजन, बेड, और दवाइयों की भारी किल्लत ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी। पहाड़ी क्षेत्रों में आज भी डॉक्टरों और अस्पतालों की भारी कमी है।
चारधाम यात्रा में अव्यवस्था:
दसौनी ने कहा कि चार धाम यात्रा के दौरान होने वाली मौतों के आंकड़ें बताते हैं कि हर वर्ष श्रद्धालुओं की जान जोखिम में पड़ रही है। प्रशासनिक लापरवाही और बुनियादी ढांचे की कमी से यात्रियों की मृत्यु दर बढ़ी है।
पर्यावरणीय असंतुलन:
गरिमा ने कहा कि जोशीमठ जैसी त्रासदी सरकारी लालच और अनियंत्रित निर्माण की देन है। सरकार ने विकास के नाम पर पर्यावरणीय चेतावनियों को नजरअंदाज किया।
महिला सुरक्षा और कानून-व्यवस्था:
गरिमा ने राज्य सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड जैसे जघन्य मामलों में भी न्याय के लिए जनता को सड़कों पर उतरना पड़ा। सत्ता से जुड़े आरोपियों को बचाने के प्रयासों ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाए।
उत्तराखंड की जनता ने भाजपा को जिस विश्वास और समर्थन से सत्ता सौंपी थी, वह पूरी तरह से व्यर्थ गया। डबल इंजन की सरकार का इंजन केवल प्रचार में चला, जमीन पर नहीं।दसौनी ने कहा कि सरकारें सड़क स्वास्थ्य शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए चुनी जाती हैं,रोजगार देने और महंगाई से जनता को निजात देने के लिए चुनी जाती हैं परंतु हमारे राज्य की सरकार का पूरा ध्यान सांप्रदायिक तुष्टिकरण और ध्रुवीकरण पर केंद्रित रहा,सरकार कभी थूक जेहाद कभी लैंड जेहाद तो कभी लव जिहाद पर ही बात करती दिखी,धर्मांतरण कानून बुलडोजर पॉलिटिक्स और यूसीसी की डुगडुगी पीटते रही जबकि उत्तराखंड की जनता सशक्त भू कानून, मूल निवास और गैरसैण राजधानी की मांग करती रही।
और तो और राज्य सरकार शहरी निकाय हों या पंचायत के चुनाव दोनों ही समय पर कराने में पूर्णतया असमर्थ रही और प्रदेश को संवैधानिक संकट में धकेल दिया।
गरिमा ने कहा कि अब समय आ गया है कि राज्य के लोग विकास, पारदर्शिता और जनहित की राजनीति को प्राथमिकता दें।

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