नई दिल्ली,11 जून (आरएनएस)। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान एक युवक की हत्या करने के 12 आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया है. एडिशनल सेशंस जज पुलस्त्य प्रमाचल ने कहा कि जांच एजेंसी आरोपियों पर दंगों, हत्या, हत्या की आपराधिक साजिश और सबूत नष्ट करने के आरोप साबित करने में पूरी तरह से नाकाम रही.
कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया उनमें लोकेश कुमार सोलंकी, पंकज शर्मा, सुमित चौधरी, अंकित चौधरी, प्रिंस, ऋषभ चौधरी, जतिन शर्मा, विवेक पांचाल, हिमांशु ठाकुर, टिंकू अरोड़ा, संदीप ठाकुर साहिल ऊर्फ बाबू शामिल हैं. कोर्ट ने इस सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए हत्या और हत्या का साजिश रचने के मामले में बरी कर दिया. कोर्ट ने इन आरोपियों में से एक मात्र आरोपी लोकेश कुमार सोलंकी को भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 505 के तहत दोषी करार दिया.
कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी ने ट्रायल के दौरान जो गवाह पेश किए उनके बयानों में विरोधाभास है. दिल्ली पुलिसु को 1 मार्च 2020 को फोन से सूचना मिली कि गंगा पब्लिक स्कूल के पास नाले में एक युवक की लाश मिली है. उसके बाद गोकलपुरी थाने ने हत्या, हत्या की आपराधिक साजिश रचने और साक्ष्य मिटाने समेत बाकी धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरु कर दी. 9 मार्च 2020 को मोहम्मद तहसीन और उसके परिवार के लोग उसकी तलाश में गोकलपुरी थाने पहुंचे. उन्होंने पुलिस को बताया कि 25 फरवरी 2020 की सुबह उनका बेटा आस मोहम्मद घर से किसी काम से निकला था, लेकिन इसके बाद वह वापस नहीं लौटा. पुलिस ने जब शव परिजनों को दिखाया तो उन्होंने उसकी पहचान आस मोहम्मद के रुप में की.
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 19 अगस्त 2020 को पहली चार्जशीट दाखिल की थी. कोर्ट ने 4 अप्रैल 2022 को सभी 12 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किया था। इस मामले के ट्रायल के दौरान दिल्ली पुलिस ने 32 गवाहों के बयान दर्ज कराए थे. बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और करीब दो सौ लोग घायल हो गए थे.